Raksha Bandhan Date Time and Muhurt लंबे समय से ही हमेशा शुभ मुहूर्त पर ही राखी बांधने की परंपरा चली आ रही है, हालांकि फिर भी बहुत सारी माताएं बहने बहुत सारी गलती कर देती है क्योंकि उनको शुभ मुहूर्त का पता नहीं होता है, इसीलिए सभी को यह पता होना चाहिए कि भद्राकाल पढ़ने पर राखी नहीं बांधनी चाहिए, क्योंकि इसका असर रक्षाबंधन पर पूरी तरह पड़ता है तो चलिए जानते हैं ऐसा क्यों.
रक्षाबंधन त्यौहार साल में एक बार आता है अब देखा जाए तो दुनिया के कई सारे देशों में इस त्यौहार को धूमधाम से मनाया जाता है हालांकि भारत देश में इस त्यौहार को सबसे ज्यादा मनाया जाता है, लेकिन इस रक्षाबंधन की डेट को लेकर अधिकतर लोग बहुत ज्यादा कंफ्यूजन में है, कुछ लोगों का यह मानना है 30 तारीख को रक्षाबंधन है वहीं कुछ 31 तारीख को रक्षाबंधन त्यौहार मना रहे हैं।

हां लकी ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि भद्राकाल पड़ रहा है, लंबे समय से ही भद्रा काल को अशुभ माना जाता है यही कारण है कि इस समय कोई भी माता बहन है किसी को राखी नहीं बंधती है, लेकिन क्या आपको पता है की रक्षा बंधन वाले दिन ही क्यों भद्राकाल पड़ता है, तो चलिए जानते हैं कि भद्राकाल क्या है और यह रक्षाबंधन वाले दिन ही क्यों पड़ता है इसके पढ़ने पर राखी क्यों नहीं बांधनी चाहिए इन सभी सवालों के जवाब आपके यहां मिल जाएंगे।
भद्रा काल क्या होता है | What Is Bhadra kaal
आपको सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि भद्राकाल क्या होता है क्योंकि आज ही बहुत सारे ऐसे व्यक्ति हैं जिनको अभी तक यह नहीं पता है कि भद्राकाल क्या होता है तो आपकी जानकारी के लिए बता दूं की दरअसल, भद्र भगवान सूर्य की बेटी का नाम है और शनि देव की बहन है, यह अपने भाई शनि देव की तरह ही बहुत ज्यादा कठोर मानी जाती है, इनके इसी कठोर स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए भगवान ब्रह्मा ने इन्हें कालगणना के एक मुख्य अंग विष्टि में स्थान दिया था।
इसी समय से ही काल को ही भद्राकाल माने जाने लगा, जब भद्रा काल पड़ता है उसे समय किसी भी प्रकार की पूजा प्रार्थना करना बिल्कुल मन होती है, क्योंकि रक्षाबंधन के दिन बहन अपने भाई की लंबी उम्र के लिए भगवान से बहुत सारी प्रार्थनाएं करती हैं इस रूप में बहन अपने भाई को राखी बांधती है, लेकिन इस साल भद्रा काल के सही समय तथा डेट का पता नहीं चल रहा है, लंबे समय से लोगों का यह कहना है कि भद्रा काल में रावण की बहन ने उसे राखी बांधी थी उसके बाद रावण का वध हो गया था।
रक्षाबंधन वाले दिन ही क्यों पड़ता है भद्राकाल?
दरअसल लंबे समय से लोगों का यह कहना है कि भद्र का सहयोग कुछ खास तिथियां पर ही देखने को मिलता है जैसे की चतुर्थी, अष्टमी, एकादशी और पूर्णिमा. और रक्षाबंधन सावन की पूर्णिमा के दिन भी पड़ता है यही कारण है कि उसे समय कोई भी माता बहन अपने भाई को राखी नहीं बंधती है कहते हैं की पूर्णिमा के दिन भद्र पृथ्वी पर ही निवेश करती हैं इसीलिए यह बिल्कुल अशुभ माना जाता है।
रक्षाबंधन 2023 पर कब रहेगी भद्रा
रक्षाबंधन 2023 यानी कि कल 30 अगस्त को पूरे दिन भद्र का साया रहेगा लेकिन रात 9:02 मिनट पर भद्र खत्म हो जाएगा, इसके बाद ही सभी माताए बहने अपने भाई को राखी बांध सकती है क्योंकि यह शुभ मुहूर्त है यदि माता बहने 30 अगस्त को राखी अपने भाई को नहीं बढ़ रही है तो वह माता बहने 31 अगस्त को सुबह 9:00 बजे से 5:00 बजे तक बढ़ सकती है।
Disclaimer: आपकी जानकारी के लिए बता दो कि यह सामान्य जानकारी हमने बहुत सारी अन्य वेबसाइट के द्वारा प्राप्त की है यदि आपको रक्षाबंधन के बारे में और भी जानकारी चाहिए तो आप किसी विशेष व्यक्ति से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं प्रकार की जानकारी का हमारी वेबसाइट पुष्टि नहीं करती है।